
यहाँ वो रहते है क्या?
कौन? किसको पूछ रहे हो आप?
अरे वो ! क्या नाम है? पंवार हैं ना?
नाम बताईये कौन?
अरे बेटा नाम याद नहीं आ रहा, अच्छा मेरी एज़ का कोई है यंहा?
नहीं आपकी एज़ का तो कोई नहीं हैं।
अच्छा ! कौन-कौन है यहाँ नाम बताईये, आपके पापा का क्या नाम है ?
महेंद्र जी पंवार।
हाँ महेंद्र पंवार ! याद आया, यही नाम है, प्लीज़ उनको बुला दो। मैं उनके बचपन का दोस्त हूँ।
पापाss, उसने आवाज़ लगायी, छत से एक बुजुर्ग ने कछुए सी गर्दन बाहर निकाली, उनका पतला चेहरा शेविंग क्रीम से फूला था।
नहीं अंकल, आप नहीं आपके बेटे महेंद्र पंवार से मिलना हैं, मैं बोला।
मैं ही महेंद्र हूँ।
अच्छा ! सॉरी थोड़ा कन्फ्यूजन हो गया था। बोल कर में भारी मन से वापस मुड़ा।
अरे कपिल ! तुम कपिल ही हो ना, वो भागता हुआ आया और जोर से गले लगा लिया।
कुछ देर बाद हम दोनों पुरानी यादों पर खिलखिला रहे थे (साथ ही मैं शर्ट पर लगी शेविंग क्रीम को साफ़ भी कर रहा था) महेंद्र पंवार बहुत बदल गया था, समय ने उसके चेहरे पर अनगिनत अनुभवों की रेखाएं खींच दी थी, लेकिन दिल आज फिर बच्चा बन बैठा था।